विजय ही विजय है

रविवार, 2 दिसंबर 2007

गुजरात में विकास युग - भाग-1

लेखक-डा. भरत जरीवाला

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि 'गुजरात भारत को विकास की राह पर ले जाने का साधन बन गया है।' श्री मोदी ने सचमुच इसे सच कर दिखाया है। आज गुजरात भारत के राज्यों में एक आदर्श (मॉडल) बन गया है। गुजरात में इस कदर विकास हुआ है जिसे राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर मान्यता दी जा रही है। गुजरात को विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को, कामनवेल्थ एसोसिएशन, माइक्रोसाफ्ट, वाशिंगटन पोस्ट, भारत सरकार, योजना आयोग, प्रधानमंत्री, राजीव गांधी फाउंडेशन, इंडिया टूडे और न जाने देश में कहां-कहां से 66 एवार्ड्स/मेडल/मान्यताएं प्राप्त हो चुकी हैं। ऐसा कौन सा क्षेत्र है जहां गुजरात का नाम 'विकास' के दायरे में नहीं आता है-भूकंप प्रबंधन से लेकर देश की विरासत को संभालकर रखना, ई-गवर्नेंस से लेकर विद्युत क्षेत्र में सुधार तक, स्त्री-शिक्षा से लेकर मातृत्व स्वास्थ्य तक, नगरीय डिजाइन तैयार करने से लेकर आर्थिक स्वतंत्रता तक और यहां तक कि सर्वश्रेष्ठ राज्य से लेकर सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री तक गुजरात का भंडार श्रेष्ठतम उत्कृष्टताओं से भरा पड़ा है। इतना ही नहीं गुजरात राज्य को तो कल्याण कार्यक्रमों के मामले में भी प्रथम स्थान पर रखा गया है।

हर मामले में सर्वोत्कृष्ट

एक मामूली से संकेत से सब कुछ सामने आ जाता है। 10वीं योजना (2002-07) की अवधि में गुजरात की विकास दर (जीडीपी) सभी राज्यों में सर्वश्रेष्ठ 10.67 प्रतिशत रही जबकि लक्ष्य 10 प्रतिशत का था और स्वयं देश की जीडीपी मात्र 8 प्रतिशत रही।

योजना आयोग के अनुसार गुजरात निर्धनता उन्मूलन में सभी राज्यों में प्रथम स्थान रखता है। इस राज्य में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या सब से कम 15 प्रतिशत मात्र हैं। गुजरात ने दलितों के 20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन में भी तमाम 5 वर्षों में अव्वल श्रेणी प्राप्त की है। गुजरात ही ऐसा प्रदेश है जहां सभी असंगठित मजदूरों, किसानों, विकलांगों, विद्यार्थियों, विधवाओं आदि के लिए एक लाख रूपए का दुर्घटना बीमा किया जाता है। गुजरात ही रोजगार दफ्तरों के माध्यम से रोजगार प्रदान करता है, यहां सभी राज्यों का कुल 54 प्रतिशत रोजगार का हिस्सा बना हुआ है। पिछले 5 वर्षों से मोतियाबंद के आप्रेशन में भी गुजरात ने अपना प्रथम स्थान बनाए रखा है।

ग्रामीण बुनियादी ढांचा
गुजरात में 100 प्रतिशत गांवों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध है, 99 प्रतिशत गांवों में सभी मौसमों वाली सड़कें बनी हुई हैं जिनमें 96 प्रतिशत गांवों में पक्की सड़कें बनी हैं, 99 प्रतिशत गांवों में सार्वजनिक बस सेवा उपलब्ध है और 99 प्रतिशत गांवों में स्वच्छ पेयजल मिलता रहता है जबकि इसकी तुलना में पूरे भारत का औसत केवल 50 प्रतिशत बैठता है।

जल क्रांति
स्वतंत्रता के समय से सूखा पीड़ित तथा चिरंतन जल के अभाव वाले राज्य में अब गुजरात जल क्रांति की दिशा में बढ़ रहा है। गुजरात में 18000 चैक-बांध, 45000 बोरी बांध, 13700 फार्म पौंड और गहरी खुदाई वाले 15000 ग्राम जलाशय बनाए गए हैं। जल स्तर बढ़ा कर 121.92 मीटर किया गया है जिससे सभी गांवों को पाइपलाइन के जरिए स्वच्छ जल मिल सके। भूमिगत जल टयूबवेल 150 फीट गहरे खोदे गए हैं। अब गुजरात टैंकर मुक्त राज्य बन गया है। सूखा पीड़ित राज्य तो इतिहास बन चुका है तथा सौराष्ट्र, कच्छ और उत्तरी गुजरात से लोगों का पलायन बंद हो गया है।

नर्मदा बिजली

सरदार सरोवर बांध का कंक्रीट वाला काम पूरा हो चुका है और अब केवल 30 द्वारों को पूरा करना बांकी है। 11450 मेगावाट के दोनों बिजली घरों का काम 2004 तथा 2006 में शुरू हुआ था। सरदार सरोवर परियोजना से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र को उनके हिस्से की 57 प्रतिशत तथा 27 प्रतिशत बिजली मिलनी शुरू हो चुकी है। सुजला सुफलां योजना लगभग पूरी हो चुकी है जिससे नर्मदा नदी से बानस नदी से प्राप्त पानी को उपशहरों तथा 4000 गांवों को दिया जाता है।

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