विजय ही विजय है

मंगलवार, 4 दिसंबर 2007

गुजरात में विकास युग - भाग- 2

लेखक-डा. भरत जरीवाला

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि 'गुजरात भारत को विकास की राह पर ले जाने का साधन बन गया है।' श्री मोदी ने सचमुच इसे सच कर दिखाया है। आज गुजरात भारत के राज्यों में एक आदर्श (मॉडल) बन गया है। गुजरात में इस कदर विकास हुआ है जिसे राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर मान्यता दी जा रही है। गुजरात को विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को, कामनवेल्थ एसोसिएशन, माइक्रोसाफ्ट, वाशिंगटन पोस्ट, भारत सरकार, योजना आयोग, प्रधानमंत्री, राजीव गांधी फाउंडेशन, इंडिया टूडे और न जाने देश में कहां-कहां से 66 एवार्ड्स/मेडल/मान्यताएं प्राप्त हो चुकी हैं। ऐसा कौन सा क्षेत्र है जहां गुजरात का नाम 'विकास' के दायरे में नहीं आता है-भूकंप प्रबंधन से लेकर देश की विरासत को संभालकर रखना, ई-गवर्नेंस से लेकर विद्युत क्षेत्र में सुधार तक, स्त्री-शिक्षा से लेकर मातृत्व स्वास्थ्य तक, नगरीय डिजाइन तैयार करने से लेकर आर्थिक स्वतंत्रता तक और यहां तक कि सर्वश्रेष्ठ राज्य से लेकर सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री तक गुजरात का भंडार श्रेष्ठतम उत्कृष्टताओं से भरा पड़ा है। इतना ही नहीं गुजरात राज्य को तो कल्याण कार्यक्रमों के मामले में भी प्रथम स्थान पर रखा गया है।

कृषि क्रांति

पिछले 5 वर्षों में जल क्रांति के साथ साथ कृषि क्रांति भी आई; अब फसल उत्पादन 9000 करोड़ रूपए से बढ़कर 34000 करोड़ रूपए तक जा पहुंचा है और उपज के हिसाब से दुगुनी हो गई है, कपास की फसल में छह गुणा वृध्दि हुई है जो 2002-03 में 23 लाख गांठों से बढ़कर 2006-07 में 123 लाख गांठ तक पहुंच गई है और इस प्रकार प्रति हेक्टेयर में 700 कि.ग्रा. की पैदावार शुरू हो गई है जो विश्व में एक रिकार्ड है। अब चीन गुजरात से 60 प्रतिशत कपास का आयात करता है। फलों और सब्जियों की उपज में भी गुजरात का स्थान सबसे ऊपर है और यहां प्रति हेक्टेयर 16 मीट्रिक टन की उपज होती है। 'भूमि से प्रयोगशाला' तक कार्यक्रम में 20 लाख किसानों को 'साइल हैल्थ कार्ड' दिए गए हैं ताकि बेहतर फसल उगाने के तरीकों की उत्कृष्ट किस्म का पता लगाया जा सके। राज्य में ड्रिप तथा स्प्रिंकलर सिंचाई को फैलाने के लिए 'गुजरात ग्रीन रेवोल्यूशन कं.' बनाई गई है। गुजरात के किसान अब दो से चार फसलों तक उपज करते हैं और इससे राज्य की जीडीपी में कृषि का हिस्सा बढ़ गया है।

बिजली में आत्मनिर्भरता
अब गुजरात बिजली में लगभग आत्मनिर्भर हो चुका है। 2002 में लगभग 2500 मेगावाट बिजली की कमी थी और 5 वर्षों के अंदर गुजरात ने सेंट्रल सेक्टर तथा प्राइवेट भागीदारी से 8100 मेगावाट से 11000 मेगावाट तक अपनी क्षमता बढ़ा ली है। 9000 मेगावाट बिजली संयंत्र और भी बन रहे हैं जिसमें एनटीपीसी/टाटा संयुक्त रूप से 4000 मेगावाट के संयत्र लगा रहे हैं। गुजरात ने 2003 में बिजी सेक्टर में सुधार का काम शुरू जिससे टी एंड डी क्षति को 45 प्रतिशत से घटा कर 23 प्रतिशत तक ले आया गया और इसे फिर से गठित किया गया। परिणामस्वरूप 2500 करोड़ रूपए की हानि वाली जीईबी में प्रोडक्शन, ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन और प्रशासन के लिए 7 कंपनियां बना कर अब इसे 250 करोड़ रूपए वाले लाभकारी कंपनी बना दिया गया है। बिजली का वितरण भी उचित ढंग से होता है - कृषि को 33 प्रतिशत, उद्योग को 33 प्रतिशत तथा निवासीय/वाणिज्य/उपयोगिताओं को 33 प्रतिशत बिजली दी जाती है।

बिजली सुधार
पिछले दो वर्षों से राज्य में बिजली की कटौती नहीं होती है। किसानों को 1700 करोड़ रूपए की बिजली सब्सिडी दी जाती है जो देश में सबसे अधिक है। पांच वर्षों से बिजली की दरें बढ़ाई नहीं गई है और वास्तव में कृषि बिजली पर पिछले 20 वर्षों से चले आ रहे पुराने बिक्री कर को खत्म कर 975 करोड़ रूपए का अनुदान दिया गया और घरों तथा औद्योगिक बिजली के शुल्क में 60 प्रतिशत से घटा कर 20 प्रतिशत कर दिया गया। ज्योतिग्राम योजना के अंतर्गत राज्य के सभी 18000 गांवों को 1200 करोड़ रूपए की लागत से पिछले 4 वर्षों के रिकार्ड समय में बिजली की व्यवस्था की गई, जिससे इन सभी को 24 घंटे बिजली उपलब्ध रहती है। गुजरात ही पहला प्रदेश है, जिसने यह सब कुछ कर दिखाया है। गुजरात में प्रति व्यक्ति बिजली का प्रयोग 1313 यूनिट है जो राष्ट्रीय औसत के 700 यूनिट से दुगूना है। गुजरात को भारत सरकार ने बिजली की इस उपलब्धि के लिए 'इंडिया एक्सीलेंस एवार्ड-2005' दिया था।

गैस इंटरनेशनल बिड
गैस और पेट्रोलियम सेक्टर में गुजरात पहला प्रदेश है जिसने दहेज और हाजिरा में दो एलएनजी टर्मिनल बनाए हैं तथा दो और टर्मिनल भी बनने वाले हैं। 20 शहरों में 2000 किमी लंबी गैस पाइप लाइन से 20 लाख घरों को शीघ्र ही रसोई गैस मिलने लगेगी। गुजरात पीएसयू पेट्रोलियम कार्पोरेशन को आस्ट्रेलिया में ऑयल एक्सप्लोरेशन के लिए 3 ब्लाक तथा मिस्र में 2 ब्लाक प्राप्त हुए हैं और कृष्णा-गोदावरी बेसिन में भी 2 लाख करोड़ रूपए प्राप्त हुए हैं। गुजरात ने सभी सार्वजनिक परिवहनों के लिए सीएनजी गैस में बदलने का काम शुरू कर दिया है ताकि पर्यावरण में सुधार लाया जा सके।

स्वास्थ्य में नई खोजें
'चिरंजीवी योजना' को सिंगापुर में वाशिंगटन पोस्ट का एशियन इन्नोवेटिव एवार्ड प्राप्त हुआ है। 'बेटी वैभव आंदोलन' के कारण महिलाओं की दर प्रति 1000 पुरूष के पीछे 802 से बढ़कर 870 हो गई है। विद्यार्थियों के नि:शुल्क मेडिकल चेक अप का काम हाथ में लिया जा रहा है और उनहें डाक्टरी उपचार तथा आप्रेशन मुफ्त दिया जाएगा। 44000 आंगनवाड़ियों के 3 वर्षा से कम आयु के 10 लाख बच्चों को विटामिन ए-डी पोषाहार दिया जाएगा। विश्व बैंक की सहायता से 30000 टन प्रतिदिन मल उपचार का काम हाथ में लिया जा रहा है जिसकी प्रशंसा सुप्रीम कोर्ट ने भी की है। मेडिकल टूरिज्म की संकल्पना सफल सिध्द हुई है और अहमदाबाद में प्रत्येक अंतर्राष्ट्रीय उड़ान से विदेशी/एनआरआई रोगी यहां आते है। नमक मजदूरों, मछुआरों, आदिवासियों तथा अंदरूनी क्षेत्रों के लए 85 मोबाइल वैन डाक्टरी सेवाओं के लिए दी गई है। शहरी क्षेत्रों से नगर स्वास्थ्य केंद्र शुरू किए गए है।

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