विजय ही विजय है

मंगलवार, 11 दिसंबर 2007

कांग्रेस को सोहराबुद्दीन की चिंता

लेखक- डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

कांग्रेस को आतंकवादियों की चिंता सता रही है। उनकी दृष्टि में आतंकवादियों के मानवाधिकारों की चिंता सरकार नहीं करेगी तो और कौन करेगा? लगता है कांग्रेस की दृष्टि में आतंकवादी का मसला अल्पसंख्यक से भी जुड़ा हुआ है। क्योंकि ज्यादातर आतंकवादी मुसलमान ही हैं इसलिए जब कोई आतंकवादी मरता है तो कांग्रेस का अल्पसंख्यक सैल तुरंत जीवित हो जाता है। उसको लगता है यह आतंकवादी नहीं मरा बल्कि एक बदनसीब अल्पसंख्यक को गोली मार दी गई है। ऐसा नहीं कि कांग्रेस आतंकवादियों के पक्ष में खुले तौर पर आ गई है। उसमें आतंकवादियों के पक्ष में आने के लिए कानूनी प्रक्रिया को ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया है। शायद कांग्रेस यह मानती है कि सच्चा आतंकवादी होने के लिए जरूरी है पहले आतंकवादी अपनी ए.के. -47 से कुछ हिन्दुओं को मार गिराए। उसके बाद पुलिस उन आतंकवादियों को पकड़े और पकड़ने के बाद उस पर मुकदमा चलाए। मुकदमा में यदि इनको फांसी की सजा हो जाए तो उस पर दया की अपील करते हुए राष्ट्रपति के पास आवेदन भेजा जाए और वह आवेदन परंपरागत तरीके से लंबित हो जाए। आतंकवाद की भी एक पूरी प्रक्रिया है और आतंकवादी को पकड़ने की भी अलग प्रक्रिया है। लेकिन दुर्भाग्य से कई बार पुलिस को पता चल जाता है कि आतंकवादी कोई वारदात करने वाले हैं। पुलिस पहले ही घेराबंदी कर लेती हैं और उस आतंकवादी को मार गिराती है। कांग्रेस की दृष्टि में इससे बड़ा जघन्य अपराध और पाप कोई नहीं है। जब तक सड़क पर पाँच-छ: हिन्दुओं की लाशें न बिछ जाए तब तक किसी को आतंकवादी भला कैसे ठहराया जा सकता है? जैसे न्यायालय में किसी तथ्य को सिध्द करने के लिए सबूतों की जरूरत पड़ती है वैसे ही कांग्रेस की दृष्टि में आतंकवादी कहलवाने के लिए छ: सात हिन्दुओं की लाशों की जरूरत हैं। दुर्भाग्य से आतंकवादी भी कांग्रेस और सरकार दोनों की ही मानसिकता को अच्छी तरह समझ गए हैं और इसका वे पूरा लाभ भी उठा रहे हैं । कश्मीर में आतंकवादियों ने दिन दहाड़े हजारों लोगों की हत्या कर दी हैं।

लेकिन सौ दौ सौ आतंकवादियों को कानूनी प्रक्रिया के चलते फांसी की सजा हो गई हो और सचमुच ही उनको फांसी के तख्ते पर चढ़ा दिया हो अभी तक ऐसा देश के देखने में नहीं आया है। पंजाब में आतंकवादी वर्षों वर्ष अपना सिक्का जमाते रहे और निर्दोषों को मारते रहे। लेकिन आतंकवादियों को कानून ने कोई सजा दी हो ऐसा देखने के लिए पंजाब के डीजीपी के.पी.एस. गिल भी तरसते रहे। सीपीएम तो कांग्रेस से आगे बढ़ा हुआ है। उसका मानना है कि नंदीग्राम के किसानों को जो अपनी जमीन की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं मारने का अधिकार सीपीएम के कैडर के पास है। पश्चिमी बंगाल के मुख्यमंत्री बुध्ददेव भट्टाचार्य ने तो कह दिया था कि जो जैसा करेगा वैसा भरेगा। संकेत स्पष्ट था कि नंदीग्राम का किसान पार्टी के खिलाफ गर्दन उठाएगा तो गर्दन कटेगी। लेकिन आतंकवादियों के मामले में सीपीएम का स्पष्ट मानना है कि पुलिस जगह-जगह उन पर अत्याचार कर रही है।

इस पृष्ठभूमि में सोहराबुद्दीन की मुठभेड़ को देखना होगा। गुजरात में आतंकवादी कोई बड़ी वारदात करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। सामान्य नागरिक तो इसका अर्थ यह निकालेगा कि वहां पुलिस सख्त है और आतंकवादी वारदात करने से पहले ही मार दिए जाते हैं। लेकिन कांग्रेस के लिए इसका दूसरा अर्थ है। यदि आतंकवादियों को काम करने का मौका नहीं दिया जा रहा तो इसका अर्थ है कि गुजरात सरकार आतंकवादियों के मानवाधिकारों का हनन कर रही है। कपिल सिब्बल से लेकर सोनिया गांधी तक सोहराबुद्दीन के लिए हलकान हो रहे हैं। उनका दु:ख यह है कि उन्होंने अफजल गुरू को तो फांसी के तख्ते पर लटकने से बचा लिया है लेकिन वे बेचारे सोहराबुद्दीन को बचा नहीं पाए। वह बेचारा अकेला पुलिस के हत्थे चढ़ गया और मुठभेड़ में मारा गया। कपिल सिब्बल मौके पर अपनी कानून की किताबें लेकर हाजिर नहीं हो पाए। उनका आग्रह है कि पुलिस को सोहराबुद्दीन जैसे आतंकवादियों को जिंदा पकड़ना चाहिए और फिर कचहरी में पेश करना चाहिए और फिर वकील मोटी फीस लेकर वकालत करने के लिए तैयार मिलेंगे ही। लेकिन शायद वे नहीं जानते ए.के. 47 लेकर घूम रहा आतंकवादी बकरी का बच्चा नहीं होता जिसको पुलिस जब चाहे रस्सी से बांध ले। कांग्रेस गुजरात में सोहराबुद्दीन की मुठभेड़ में हुई मौत को लेकर जनता का फतवा ढूँढ रही है। सोनिया गांधी तो इतने गुस्से में आ गई कि उसने नरेन्द्र मोदी को मौत का सौदागर तक कह दिया। अब गुजरात की जनता को ही फैसला करना है कि मौत का सौदागर सोहराबुद्दीन था या नरेन्द्र मोदी? और उससे बड़ा प्रश्न यह है कि सोहराबुद्दीन के पक्ष में खड़े होने वाले लोग कौन है? और उनकी मंशा क्या है?
(नवोत्थान लेख सेवा हिन्दुस्थान समाचार)

5 टिप्‍पणियां:

Arun Arora ने कहा…

काहे गरम हो रहे हो भाइ याद नही सोनिया जी से लेकर लेफ़्ट वाले महाराष्ट्र सरकार सभी गुजरात के एनकाऊंटर मे मरी एक महिला के घर लाखो दे आये सारे अखबार वाले मोदी को गरिया रहे थे जब आतंकवादियो मे उसको शहीद करार दिया तो चुप हुये वरना उसको भारत रत्न देने की पूरी तैयारी थी भाई

Ashish Maharishi ने कहा…

इसे इस देश की बद किस्मती ही कहेंगे कि बिना जानकारी के लोग कुछ भी लिख देते हैं..शायद कुलदीप चंद अग्निहोत्री को सोहराबुद्दीन के मामले की पूरी जानकारी नहीं है..सोहराबुद्दीन के घर पर हथियार रखने वाले और कोई नहीं गुजरात पोलिस ही थी..यह ख़ुद गुजरात पोलिस की जांच में यह बात कही गई है.

http://bolhalla.blogspot.con

prabodh ने कहा…

wah maharishi ji, akhir apki b aatma jag agyi,to kashmir ke bare me bhi kuch likhiye na ki ki tne hindu mare hue hai, aur vishthapit hai,!!!!
Ha ek baat to mai bhul hi gaya tha mumbai train me ,akshardham me...,jo mare the saab kasurwaar the

drdhabhai ने कहा…

यह देश आतंकवादियों के लिए स्वर्ग बन चुका है जी भर के मार काट मचाओ ओर जब पकङे जाओ तो हैं न अपने अ.......मानवाधिकार वादी,सैक्यूलर वादी इनको बचाने को ,कोई निर्दोष मारा जाये तो मीडिया भी ध्यान नहीं देता पर आतंकवादी मरे तो क्यों...कैसे ...कौन

Ashish Maharishi ने कहा…

prabodh ji baat kasmir par bhi hoti hai aur local train par bhi...lekin aap ko yh nahin deekta ...yaa kahaa jeye ki aap yh dekhna nahin chahte hain...main patrkar hoon...kisi dal ka worker nahin..