विजय ही विजय है

शुक्रवार, 2 नवंबर 2007

गुजरात विधानसभा चुनाव पर विशेष


विकास और विचारधारा होगा मुख्य चुनावी मुद्दा : अरुण जेटली

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री अरुण जेटली गुजरात के चुनाव प्रभारी बनाए गए हैं। वे पिछले चुनाव में भी वहां के प्रभारी थे और गुजरात से राज्यसभा सदस्य भी हैं। उन्होंने गुजरात को पिछले कुछ वर्षों में बहुत करीब से देखा, परखा और जांचा है। राज्य के वर्तमान चुनावी परिदृश्य पर मैंने श्री जेटली से 'कमल संदेश' पत्रिका के लिए बातचीत की। प्रस्तुत है संपादित अंश-

चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा के बाद गुजरात में क्या दृश्य आपके सामने है?
गुजरात का चुनाव मोटे तौर पर द्विध्रुवीय चुनाव है। प्रमुख रूप से चुनाव
भाजपा और कांग्रेस के बीच है। भाजपा को इस चुनाव में एक विशिष्ट लाभ
है। यह लाभ इस रूप में है कि हमारे पास श्री नरेन्द्र मोदी का मजबूत
नेतृत्व है। भाजपा की विचारधारा मुख्यत: राष्ट्रवादी विचारधारा है, जो
गुजरात के लोगों की भावनाओं से मेल खाती है।

आपकी राय में वे कौन से कारण है, जिनसे लोग प्रभावित होकर फिर से भाजपा सरकार को सत्ता में लाएंगे?
ऐसे मानने के अनेक कारण है, जिनसे मुझे विश्वास है कि भाजपा फिर से
गुजरात में सत्ता प्राप्त कर लेगी। पार्टी मोदी सरकार को उसके अपने प्रदर्शन
पर जिस तरह से लोगों का प्रतिसाद मिल रहा है, वही मेरे विश्वास का
आधार है। कांग्रेस ने राज्य में इस समय लोगों के साथ सम्पर्क करने का
कोई काम नहीं किया है। गुजरात में हमारी सरकार का प्रदर्शन और
विचारधारा प्रमुख मुद्दा बनी रहेगी। हमारा दृष्टिकोण राष्ट्रवादी और
आतंकवाद-विरोधी रहा है। पिछले कई वर्षों से राज्य में हमने बहुत
सफलतापूर्वक सरकार चलाई है। हमारे विरोधी, प्रमुखत: कांग्रेस, केवल
सामाजिक विभाजन और अल्पसंख्यकवाद को लेकर चल रहे है।

भाजपा किन प्रमुख मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ेगी?
जैसा मैंने पहले कहा, गुजरात में हमारे मुख्य मुद्दे हमारा प्रदर्शन और
विचारधारा रहेगा। हमने एक उत्कृष्ट प्रकार का नेतृत्व प्रदान किया है। तो
दूसरी तरफ इसकी तुलना में यूपीए का दब्बू, अनिर्णयकारी तथा हर काम में
कोताही बरतने वाला नेतृत्व दिखाई पड़ता है, जिसने आतंकवाद से लड़ने की
ताकत को ही कमजोर कर दिया है। यूपीए और कांग्रेस केवल
अल्पसंख्यकवाद का इस्तेमाल करने में लगी हुई है। जहां तक हमारी सरकार
के प्रदर्शन की बात है, आज गुजरात देश के अत्यधिक विकसित राज्यों में
से एक है और भली-भांति प्रगति के मार्ग पर चल रहा है और इस सफलता
का प्रमुख श्रेय लोगों को, गुजरात भाजपा के नेतृत्व एवं भाजपा सरकार के
कार्य प्रदर्शन को जाता है।

चुनाव परिणाम के बारे में आपकी आशाएं क्या है?
जहां तक चुनाव परिणाम के बारे में मेरी आशा का प्रश्न है, मुझे लगता है
कि भाजपा के पास एक विशिष्ट लाभ है। सामान्यत: हम संख्या के रूप में
अपनी आशाएं व्यक्त नहीं करते है, परन्तु हमें विश्वास है कि भाजपा एक
अच्छे-खासे बहुमत से सत्ता में वापस आएगी।

आपकी आशावादिता का आधार क्या है?
जिस प्रकार से हमें पिछले कई महीनों से प्रतिसाद मिल रहा है, वही हमारी
आशावादिता का आधार है।

आप 2002 में भी चुनाव के समय गुजरात के प्रभारी थे और अब भी है। आप तब में और आज में क्या अन्तर देखते है?
2002 और 2007 के बीच एक बड़ा महत्वपूर्ण अन्तर आया है। 2002 में
श्री मोदी सरकार के लिए नए थे। लोगों ने उनके कामकाज को बहुत समय
तक परखा नहीं था। लोगों के पास उनके कामकाज को परखने का पर्याप्त
समय नहीं मिला था। अब पिछले अनेक वर्षों से उनके कामकाज के प्रदर्शन
को देखकर लोगों के मन में उनके नेतृत्व के प्रति और आस्था बढ़ गई है
और वे समझने लगे है कि श्री मोदी में काम करने की क्षमता है और वे
विकास के कार्य को सिरे तक पहुंचा सकते है।

पार्टी ने असंतुष्टों की नेतृत्व परिवर्तन की मांग को स्वीकार नहीं किया है। आप उन्हें पार्टी को चुनौती देने में कितनी गम्भीरता से लेते है?
यह बिल्कुल भी गम्भीर मामला नहीं है। मैंने देखा है कि असंतुष्टों ने जिन
मुद्दों को उठाया है, वे विचारधारा के मुद्दे नहीं हैं। ये सभी मुद्दे व्यक्तित्व
केन्द्रित हैं और इसलिए पार्टी उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं कर सकती
थी। जो लोग कांग्रेस में शामिल होना चाहते है और भाजपा को हराने के
लिए विपक्ष के साथ मिलने को तैयार है, ऐसे लोगों को स्वयं को भाजपा का
असंतुष्ट कहलाने का कोई नैतिक हक नहीं रह जाता है। उन्होंने तो पार्टी के
राजनैतिक विरोधियों की भूमिका अपना ली है।

लगता है मोदी-विरोधी ताकतों ने मिलकर भाजपा को चुनौती दी है। आपकी रणनीति क्या है?
गुजरात में भाजपा और नरेन्द्र मोदी का समर्थन आधाार इतना व्यापक है
कि हमें इससे कोई चुनौती या खतरा दिखाई नहीं पड़ता है।

गुजरात में किनके बीच लड़ाई है?
यह लड़ाई गुजरात की कामकाज करने वाली सरकार और केन्द्र में यूपीए की
निष्क्रिय सरकार के बीच की लड़ाई है। यह एक राष्ट्रवादी विचारधारा और
अल्पसंख्यकवाद के बीच की लड़ाई है।

आपका क्या विचार है कि गुजरात चुनाव के परिणामों का राष्ट्रीय राजनीति पर कितना प्रभाव पड़ने जा रहा है?
राज्य के चुनाव परिणामों से लोकसभा में राजनीतिक समीकरण नहीं बदलेंगे। फिर भी, केन्द्र सरकार की विचारधारा के रूप में इन परिणामों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। गुजरात चुनाव परिणामों से भारत में एक आदर्श के रूप में राष्ट्रवाद की नवजागृति अवश्य ही एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी। इससे अवश्य ही केन्द्रीय राजनीति की गतिविधियों पर प्रभाव पड़ेगा।

1 टिप्पणी:

अनिल रघुराज ने कहा…

यकीनन मोदी के जीतने के प्रबल आसार हैं। कैसे यहां देख सकते हैं...
http://diaryofanindian.blogspot.com/2007/11/blog-post_01.html